अंजाना सफर
अंजाना सफर
जिंदगी का हर अगला दिन है अनजान सफर,
क्या होने वाला है हर कोई है बेखबर।
अपने ही घमंड में खोया है इंसान,
सब कुछ पा लूंँगा सोचता है इंसान।
नहीं मालूम क्या भाग्य में लिखा है,
होता वही है जो खुदा की रजा है।
हर योजना व मनसूबा, धरा रह जाता है,
जब सोचने से अलग कुछ और हो जाता है।
सब कर्मों का खेल है, सफर अंजाना है,
कोई बहुत काम करके भी नहीं पाता है।
कुछ किस्मत के धनी सब कुछ पा जाते हैं,
माता-पिता की मेहनत को ऐश में उड़ाते हैं।
शुक्र गुजार रहें प्रभु का, जिसने यह जीवन दिया,
अनजान सफर भी मनोरम होगा, हुई जो प्रभु की दया।
अंजान सफर पर भी बढ़ते हुए एक दूसरे के सहायक बनिए,
जिंदगी खुश गुजार रहेगी यह बात मान कर चलिए।
जब व्यवहार होता है अपनों सा दूजों के संग,
अंजाना सफर भी बन जाता है सुखद परायों के संग।
नीरजा शर्मा
9/6/23