*अंग्रेजों के सिक्कों में झाँकता इतिहास*
अंग्रेजों के सिक्कों में झाँकता इतिहास
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अंग्रेजों के जमाने के चाँदी के कुछ सिक्कों का मैंने अध्ययन किया । 1840 में अंग्रेजों द्वारा जारी किया गया ₹1 का सिक्का चाँदी का है लेकिन इस पर एक ओर ईस्ट इंडिया कंपनी अंकित है दूसरी तरफ “विक्टोरिया क्वीन” लिखा हुआ है । किंतु विशेषता यह है कि रानी के सिर पर मुकुट नहीं है । मुकुट सिक्के के दूसरे हिस्से पर भी बना हुआ नहीं है । रानी के सिर पर साधारण रीति से चोटी बनी हुई है ।
इसके विपरीत जब हम 1904 ,1905 ,1906 और 1907 के सिक्कों का अध्ययन करते हैं तब उसमें यद्यपि राजा के सिर पर मुकुट नहीं है लेकिन वह मुकुट सिक्के के दूसरे हिस्से में अंकित है । यह बड़ा विचित्र तथ्य है और आश्चर्य में डालता है कि आखिर मुकुट राजा को क्यों नहीं पहनाया गया तथा उसे राजा के सिर के स्थान पर सिक्के के दूसरे भाग में क्यों रखा गया ?
ईस्ट इंडिया कंपनी के जमाने में जो सिक्का ढाला गया उसमें विक्टोरिया को “क्वीन” बताया गया है । 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया था तथा सीधे तौर पर राजा – रानी का शासन स्थापित हो गया । अतः 1885 में जो सिक्का ढाला गया,उसमें विक्टोरिया को एम्प्रैस Empress लिखा गया । यह शब्दावली में महत्वपूर्ण परिवर्तन था । साथ ही रानी के सर पर ताज भी है ।
सिक्कों में उर्दू के प्रयोग में भी विविधता देखने में आती है । ईस्ट इंडिया कंपनी के जमाने में जो 1840 का सिक्का है ,उसमें उर्दू का प्रयोग किया गया है तथा सबसे नीचे सन् अर्थात वर्ष अंकित है । जबकि 1878 ,1882 1885 , 1886 ,1892 तथा 1893 के सिक्कों में उर्दू का प्रयोग नहीं हुआ है ।
सबसे पहले जिन सिक्कों में उर्दू देखने में आ रही है, वह 1904 ,1905 ,1906 ,1907 के सिक्के हैं। इनमें भी एक विशेषता है । यह सभी सिक्के राजा द्वारा बगैर मुकुट पहने हुए हैं तथा इनमें सबसे नीचे सन् अर्थात वर्ष लिखा हुआ है ।जबकि इसके बाद के सिक्कों में राजा मुकुट पहने हुए हैं तथा सबसे नीचे उर्दू में ₹1 लिखा हुआ है ।
एक विचित्र बात यह देखने में आई कि अंग्रेजों के सिक्कों पर उर्दू में तो लिखा गया है लेकिन राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रयोग से परहेज बराबर किया जाता रहा । इसके पीछे कोई न कोई विचारधारा अवश्य काम कर रही है , क्योंकि भारत के विभाजन के क्रम में अंग्रेजों ने पाकिस्तान का निर्माण किया था तथा वहाँ की राष्ट्रभाषा उर्दू बनी जबकि भारत ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में अंगीकृत किया है।
वास्तव में सिक्कों के द्वारा हम किसी शासन प्रणाली की विचारधारा को परख सकते हैं ।
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लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451