Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2024 · 3 min read

*अंग्रेजी राज में सुल्ताना डाकू की भूमिका*

अंग्रेजी राज में सुल्ताना डाकू की भूमिका
🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂
समीक्षा पुस्तक: मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर (खंड 2), वर्ष 2024
🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂
सुल्ताना डाकू के व्यक्तित्व को अत्यंत खोजपूर्ण दृष्टि से मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर में प्रस्तुत किया गया है। गजेटियर में प्रतिष्ठित अंग्रेज लेखकों की पुस्तकों के उद्धरण से सुल्ताना डाकू की उदार तथा जनवादी छवि सामने लाने का प्रयास काफी हद तक सफल हुआ है।

सबसे बड़ी बात यह रही कि गजेटियर ने “ब्रिटिश शासन के दौरान घोषित अपराधिक जनजातियॉं” शीर्षक से एक पृथक लेख दिया है। इसने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए ‘क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट’ को प्रकाश में लाने का काम किया है। इससे पता चलता है कि किसी व्यक्ति विशेष को अच्छा या बुरा मानना अलग बात है, लेकिन यहां तो एक के बाद एक समूची जनजातियों को अंग्रेजों ने अपराधिक जनजाति घोषित कर दिया था। इन जातियों में अहेरिया, भतरा, भॉंतु, हबूड़ा, कंजर, नट और सॉंसिया का विवरण गजेटियर में विस्तार से दिया गया है। यह सभी जनजातियॉं संयुक्त प्रांत की थीं। सुल्ताना डाकू इन्हीं अपराधी घोषित की गई जनजातियों में से एक ‘भॉंतु’ जनजाति का था।

गजेटियर के अनुसार 1576 ईस्वी में जब महाराणा प्रताप की पराजय हुई तो उसके बाद भॉंतु जनजाति के लोग ‘कठेर’ में आकर बस गए। ‘कठेर’ वहीं क्षेत्र है, जिसमें आजकल रामपुर और मुरादाबाद शामिल हैं । कठेर राज्य पर कठेरिया राजपूतों का शासन था। जिस प्रकार महाराणा प्रताप ने अपनी स्वाधीनता को मुगलों के सामने नतमस्तक नहीं होने दिया था, उसी प्रकार कठेर राज्य मुगलों की पकड़ से बाहर था।
1625 ईसवी के आसपास कठेरिया शासक राजा राम सिंह की मुगलों द्वारा हत्या कर दी गई थी। कठेर राज्य छिन्न-भिन्न हो गया था। उसके एक हिस्से को मुगलों ने मुरादाबाद नाम दिया था।
इन सारी कड़ियों को अगर आपस में मिलाया जाए और गहन शोध कुछ और आगे बढ़ाया जाए तो संभवतः यह सिद्ध हो जाएगा कि भॉंतु जनजाति विद्रोही तेवर रखने वाली स्वतंत्रताप्रिय जनजाति थी। इसका संघर्ष स्वाभिमान के लिए मुगलों के साथ भी रहा और इसी कड़ी में सन 1919 से 1923 तक इसी जनजाति के सुल्ताना डाकू ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया।

14 नवंबर 1923 को सुल्ताना डाकू गिरफ्तार हुआ। हत्या और डकैती के आरोप में 7 जुलाई 1924 को उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया। डाकू शब्द तो बहुत स्वाभाविक है कि अंग्रेजों ने एक आपराधिक घोषित जनजाति के विद्रोही व्यक्ति को कहा ही होगा। अंग्रेजों की नजर में तो सुल्ताना भी डाकू था और भॉंतु जनजाति का हर व्यक्ति अपराधी था। प्रश्न यह है कि सुल्ताना डाकू पर डाकू होने की पर्ची चिपका दी गई, यह अलग बात है। लेकिन उसके कार्य और व्यक्तित्व क्या सचमुच उसे डाकू सिद्ध करते हैं अथवा एक विद्रोही व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं ?

प्रसिद्ध अंग्रेज लेखक जिम कॉर्बेट की पुस्तक ‘माइ इंडिया’के हवाले से गजेटियर ने बताया है कि सुल्ताना डाकू ने कभी किसी गरीब व्यक्ति का धन नहीं लूटा तथा छोटे दुकानदारों से खरीदे गए सामान के लिए मांगे गए मूल्य से दुगना मूल्य चुकाया।
प्रश्न यह है कि उपरोक्त चरित्र क्या एक डाकू का हो सकता है ? निःसंदेह सुल्ताना डाकू अपने जन्म के साथ ही भॉंतु जनजाति का होने के कारण अंग्रेजों की नजर में अपराधी था। शायद पीढ़ी-दर-पीढ़ी उसके पूर्वजों के विद्रोही तेवर रहे थे।

गजेटियर में यह जानकारी नहीं मिलती कि सुल्ताना डाकू पर हत्या और डकैती के जो आरोप लगाए गए, उनकी प्रकृति क्या थी? अर्थात क्या उसने अंग्रेजी राज के समर्थक व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति हत्या और डकैती के अपराध किए थे? अगर यह विवरण तथ्यात्मक रूप से सामने आ जाएं तो सुल्ताना डाकू के प्रति ठोस तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर हम एक अलग ही चित्र बना पाएंगे।

आशा की जानी चाहिए कि मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर ने सुल्ताना डाकू के जनपक्षधरता से ओतप्रोत व्यक्तित्व को जिस तरह उजागर किया है, उस पर शोध कार्यों का क्रम आगे चलेगा और स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास पर नए सिरे से प्रकाश पड़ सकेगा।
————————————–
समीक्षक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

30 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
"" *चाय* ""
सुनीलानंद महंत
एक स्वच्छ सच्चे अच्छे मन में ही
एक स्वच्छ सच्चे अच्छे मन में ही
Ranjeet kumar patre
.......,,
.......,,
शेखर सिंह
4482.*पूर्णिका*
4482.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अस्ताचलगामी सूर्य
अस्ताचलगामी सूर्य
Mohan Pandey
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
Kumar Akhilesh
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
THE ANT
THE ANT
SURYA PRAKASH SHARMA
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
Bidyadhar Mantry
कोई  फरिश्ता ही आयेगा ज़मीन पर ,
कोई फरिश्ता ही आयेगा ज़मीन पर ,
Neelofar Khan
समाधान ढूंढने निकलो तो
समाधान ढूंढने निकलो तो
Sonam Puneet Dubey
जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम
तुम
हिमांशु Kulshrestha
"तू मीरा दीवानी"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य पर चलना बड़ा कठिन है
सत्य पर चलना बड़ा कठिन है
Udaya Narayan Singh
जहाँ में किसी का सहारा न था
जहाँ में किसी का सहारा न था
Anis Shah
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
लक्की सिंह चौहान
⭕ !! आस्था !!⭕
⭕ !! आस्था !!⭕
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
साजन तुम आ जाना...
साजन तुम आ जाना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
Suryakant Dwivedi
हसदेव बचाना है
हसदेव बचाना है
Jugesh Banjare
इस नदी की जवानी गिरवी है
इस नदी की जवानी गिरवी है
Sandeep Thakur
यादें....!!!!!
यादें....!!!!!
Jyoti Khari
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
कौन  किसको पूछता है,
कौन किसको पूछता है,
Ajit Kumar "Karn"
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
अर्ज किया है
अर्ज किया है
पूर्वार्थ
बंधे रहे संस्कारों से।
बंधे रहे संस्कारों से।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
Loading...