*अंगूर (बाल कविता)*
अंगूर (बाल कविता)
मीठे रस के हैं अंगूर
गुच्छे लेकिन लटके दूर
सुंदर हैं यह मन ललचाते
बड़े शौक से इनको खाते
बलवर्धक अंगूर कहाते
इसीलिए हैं सबको भाते
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451