अंगद
राम काज करने चला, किष्किंधा युवराज ।
सीता जी की खोज पर, राम ने किया नाज ।।1।।
नल नील ने बांध लिया, खेल खेल में सेतु ।
वानर वीर पहुँच गए, श्री राम काज हेतु ।।2।
बाली सुत रण बांकुरा, अंगद जिसका नाम ।
राम दूत बन चला, करने प्रभु का काम ।।3।।
पैर पटका बीच सभा, हारे लंका वीर ।
मेघनाथ का सिर झुका, रावण हुआ अधीर ।।4।।
तारा का यह वीर सुत, हैं योद्धा बलवान ।
मारे असुर बड़े बड़े, नाम अंगद महान ।।5।।