अंकुर
अंकुर
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बीज तत्व से जीवन भरा,
प्रस्फुटित हो नव अंकुर बना।
सूर्य किरणों से प्रफुल्लित होकर,
उपवन की शोभा बना।
नित नवीन निखार आए,
मंद पवन हिलोरे झुलाए।
धूप -छांव ने इसको पाला,
तब जाकर पौधा बन पाए।
नव पल्लव फिर मुस्कुराएं
हरियाली का संदेशा फैलाएं।
नन्हा अंकुर वृक्ष बन कर,
धरती को जीवन दे जाए।
फल, फूल, हरियाली छाए,
उपवन को रंगो से सजाए।
जीवन देखो किस तरह से ,
नन्हें बीजों में छुप जाए।
बीज धरा में जब समाए,
धूप ,जल से वह पोषण पाए।
नवजीवन की लेकर आशा,
नव अंकुर प्रस्फुटित हो जाए।
—मनीषा सहाय सुमन
— मनीषा सहाय सुमन