“अँगूठा दिखने बालों से सावधान “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
====================
मित्र बनने और बनाने की उत्कंठा हमलोगों में घर कर गई है ! अधिकांशतः हम संख्याओं के पीछे निरंतर भागते रहते हैं ! फिर भी एक चाहत बनी रहती है कि हम एक दूसरे को भली -भाँति जान लें ! प्रोफाइलों में अधूरी जानकारी हमें अपने मित्रों से अनजान बनाए रखती है !
1 ओवरव्यू में………. :- कहाँ के रहने वाले हैं, कहाँ रहते हैं , क्या करते हैं और क्या शादी हो गयी है ?
2 वर्क एण्ड एजुकेशन :- हमारी प्रारम्भिक और ऊँच्च शिक्षा कहाँ और कब हुई और हम क्या करते हैं ?
3 प्लेस लिव्ड ……… :- कहाँ -कहाँ रहे ?
4 कान्टैक्ट एण्ड बेसिक इनफार्मेशन :- कान्टैक्ट इन्फो,वेबसाइट ,पुरुष /स्त्री /अन्य ,जन्म तिथि हमारा क्या है ?
5 फॅमिली और रीलैशन्शिप :- हमारी शादी हो गई है और हमारे संबंधियों का नाम क्या है ?
6 डिटेल्स और लाइफ ईवेंट :- इसके विषय में क्या है ?
प्रत्येक व्यक्ति जो मित्र बनाता है या फ्रेंड रीक्वेस्ट भेजता है वो ध्रुवतारा कहलाता है और ये उपरोक्त छः तारे मिलकर ही सप्तऋषि बनते हैं ! इसके अधूरे और अप्रर्याप्त सूचनाओं के अभाव में इनकी चमक धुँधली पड़ जाएगी और लोग दृगभ्रमित हो जाएंगे ! कुछ लोग ही एसे होते हैं जो सटीक सूचना और अपना परिचय देते हैं !
मित्र बनाने की प्रक्रिया मात्र एक कंप्युटर या मोबाईल के बटन को दबाने से पूर्ण हो जाती है ! हम ना जाँचते हैं ना परखते हैं ! मित्रता का स्वरूप भले ही बदल गया है तथापि कुछ बातें अभी भी वही हैं ! सहयोग ,मिलना -जुलना और गोपनीयता की बातें पूर्णतः गौण होती चलीं गयीं पर एक मौलिक बातें “ समान विचार धारा “ की जड़ें कभी हिल ना सकीं ! आज भी हमारी निगाहें ढूँढतीं रहतीं हैं कि कौन हमारे समान विचारधाराओं से जुड़ा है और कौन विपरीत ध्रुवों की ओर मुँह किया हैं ?
और इसका निर्णय करना कठिन नहीं है ! आपके विचार ,समालोचना ,ब्लॉग ,टीका -टिप्पणियाँ ,पत्राचार और यदाकदा बातें शीघ्र ही बतला देतीं हैं कि हमारी विचार धारा एक सी है या अलग -अलग ? यह भी मानना उचित है कि हमने अपने मित्रों की विशाल सैन्य संगठन बना रखी है ! सब लोगों से राफ़ता होना संभव भी नहीं हो सकता ! पर समाधान हर मोड़ पर है ! हम समान विचार धारा के लोगों का परीक्षण प्रारंभ ही कर सकते हैं ! मित्र बनने के पाश्चात उन्हें मैसेंजर पर कुछ स्वागत भरा पत्र लिखें ! कुछ अपने विचार लिखें ! आभार अभिनंदन लिखें और उनकी प्रतिक्रियों को पढ़कर ही अनुमान लगाया जा सकता है कि हम दोनों के विचारों में समानता है या यह मित्रता रेत के टीले पर टिकी है ?
जिसने अंगूठा दिखा दिया और कुछ शब्दों में व्यक्त नहीं किया उसे प्रथम दृष्टांत में हमें समझ जाना चाहिए कि ये व्यक्ति को किसी की चाह नहीं ! ये अपना प्रचार और प्रमोशन ही करना चाहते हैं ! इसलिए “अँगूठा दिखने बालों से सावधान “रहें !
=====================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड