जिज्ञासा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
जब जब तुझे पुकारा तू मेरे करीब हाजिर था,
ज्ञानवान दुर्जन लगे, करो न सङ्ग निवास।
कविता तो कैमरे से भी की जाती है, पर विरले छायाकार ही यह हुनर
चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
इश्क़ गुलाबों की महक है, कसौटियों की दांव है,
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
********* आजादी की कीमत **********
बे फिकर होके मैं सो तो जाऊं
*** सागर की लहरें....! ***
दूसरों का दर्द महसूस करने वाला इंसान ही
मेरा बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
बाबा लक्ष्मण दास की समाधि पर लगे पत्थर पर लिखा हुआ फारसी का
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
you don’t need a certain number of friends, you just need a
वेलेंटाइन डे एक व्यवसाय है जिस दिन होटल और बॉटल( शराब) नशा औ
वो नए सफर, वो अनजान मुलाकात- इंटरनेट लव