Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2022 · 2 min read

■ नज़्म / धड़कते दिलों के नाम…!

■ नज़्म /
एक कहानी है रूमानी…!
【प्रणय प्रभात】
वक़्त हो तो आइए,
इक दास्तां सुन लीजिए।
कुछ रुमानी ख़्वाब अपने
ज़हन में बुन लीजिए।।
इश्क़ कैसे जागता है
जागती हैं ख़्वाहिशें।
दो दिलों को किस तरह से
जोड़ती हैं बारिशें।।
आज भीगी सी है रुत
महकी हुई सी रात है।
हम जवां होने को थे
ये उन दिनों की बात है।।
था वो महीना जून का
हो कर चुकी बरसात थी।
थोड़ी तपिश थी आसमां पे
अब्र की बारात थी।।
वाकिफ़ नहीं थे इश्क़ से
ना आशिक़ी के रंग में।
मासूम सी इक गुलबदन
अल्हड़ सी लड़की संग में।।
पहचान थी कुछ रोज़ की
ज़्यादा न जाना था उसे।
था हुक्म घर वालों का तो
घर छोड़ आना था उसे।।
घर से निकल कुछ देर में
कच्ची सड़क पर आ गए।
इके बार फिर से आसमां पे
अब्र काले छा गए।।
घर दूर था उसका अभी
रफ़्तार बेहद मंद थी।
बरसात के आसार थे
बहती हवा अब बंद थी।।
मौसम के तेवर भांप के
संकोच अपना छोड़ कर।
कुछ तेज़ चलिए ये कहा
मैने ही चुप्पी तोड़ कर।।
ठिठकी, रुकी, बोली लगा
झरना अचानक से बहा।
मैंने सुना उस शोख़ ने
इक अटपटा जुमला कहा।
थे लफ़्ज़ मामूली मगर
मानी दुधारी हो गए।
बेसाख़्ता बोली वो
मेरे पाँव भारी हो गए।।
ये समझ आया नहीं
दिल आह बोले या कि वाह।
चौंक कर चेहरे पे उसके
थम गई मेरी निगाह।
एकटक देखा उसे
मौसम शराबी हो गया।
मरमरी रूख शर्म से
बेहद ग़ुलाबी हो गया।।
पल भर में ख़ुद की बात ख़ुद
उसकी समझ मे आ गई।
क्या कह गई ये सोच के
वो नाज़नीं शरमा गई।।
नीचे निगाहें झुक गई,
लब भी लरज़ने लग गए।
बरसात होने लग गई
बादल गरजने लग गए।।
नज़रों से नज़रें मिल गईं
माहौल में कुछ रस घुला।
उसने दिखाया पाँव अपना
राज़ तब जाकर खुला।।
गीली मिट्टी में मुझे
लिथड़ी दिखीं जब जूतियां।
पाँव भारी क्यों हुए थे
ये समझ आया मियां।।
वाक़या छोटा था पर
इक ख़ास किस्सा हो गया।।
मुख़्तसर सा वो सफ़र
जीवन का हिस्सा हो गया।।

Language: Hindi
1 Like · 145 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
Ram Krishan Rastogi
*पाते जन्म-मरण सभी, स्वर्ग लोक के भोग (कुंडलिया)*
*पाते जन्म-मरण सभी, स्वर्ग लोक के भोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
उनको देखा तो हुआ,
उनको देखा तो हुआ,
sushil sarna
3319.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3319.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ये चांद सा महबूब और,
ये चांद सा महबूब और,
शेखर सिंह
"एहसानों के बोझ में कुछ यूं दबी है ज़िंदगी
गुमनाम 'बाबा'
लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप
लक्ष्मी सिंह
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
manjula chauhan
देखकर प्यारा सवेरा
देखकर प्यारा सवेरा
surenderpal vaidya
नववर्ष का नव उल्लास
नववर्ष का नव उल्लास
Lovi Mishra
सारी उम्र गुजर गई है
सारी उम्र गुजर गई है
VINOD CHAUHAN
संवेदना...2
संवेदना...2
Neeraj Agarwal
सहधर्मनी
सहधर्मनी
Bodhisatva kastooriya
मेरा प्रेम पत्र
मेरा प्रेम पत्र
डी. के. निवातिया
होते फलित यदि शाप प्यारे
होते फलित यदि शाप प्यारे
Suryakant Dwivedi
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*प्रणय प्रभात*
तुम नादानं थे वक्त की,
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
goutam shaw
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
Ashwini sharma
*”ममता”* पार्ट-1
*”ममता”* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
📚पुस्तक📚
📚पुस्तक📚
Dr. Vaishali Verma
पता नहीं कब लौटे कोई,
पता नहीं कब लौटे कोई,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राम काव्य मन्दिर बना,
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अब तुझपे किसने किया है सितम
अब तुझपे किसने किया है सितम
gurudeenverma198
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
Pushpraj Anant
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
Rj Anand Prajapati
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
Shweta Soni
"प्रवास"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...