Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Dec 2022 · 2 min read

■ चिंतन / मूल्य मानव का…..

#जीवन_की_सच्चाई:
■ मृत्यु के बाद मूल्य चंद रुपए
【प्रणय प्रभात】
सामान्यतः जीवन को अमूल्य माना जाता है और मानवीय देह को ईश्वरीय वरदान। इस सनातन सत्य और तथ्य की सार्थकता तब है जब जीवन शाश्वत मूल्यों पर केंद्रित और मानवीय गुणों से ओतप्रोत हो। जिनकी उपेक्षा मानव लगातार करता आ रहा है। नैतिकता, सदाचार और मानवीय मूल्यों के बिना मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं। उस देह का मूल्य भी महज चंद रुपए, जिस पर इंसान जीवन का जोश रहने तक दम्भ करता है। जी हां, भौतिक युग की सच्चाई यही है, जिसे हम इस तथ्य से बखूबी समझ सकते हैं। जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी अंत्येष्टि कर दी जाती है। जीते जी करोड़ों के अंग रखने वाली बहुमूल्य मानवीय देह
निष्प्राण होने के बाद मिट्टी हो जाती है। निष्प्राण देह के जल जाने के बाद वो राख’ में बदल जाता है। इस राख (खाक़) में मात्र 25 रुपए का केल्शियम, 10 रुपए का फास्फोरस और 30 रुपए के अन्य माइक्रो न्यूटरिएण्ट्स होते हैं। मतलब मरने के बाद आदमी की ‘कीमत 65 रुपए’ से ज्यादा नहीं बचती। चाहे मरने वाला राजा हो या रंक। मतलब स्पष्ट है कि मूल्य देह नहीं आत्मा का है। उस आत्मा का, जो जीवन के मूल्य जानती हो। मरणोपरांत जीवन का मूल्य वो स्मृतियां तय करती हैं जो सुकर्म या कृतित्व कहलाती हैं। कृतित्व का सम्बंध व्यक्तित्व नहीं व्यवहार और आचार-विचार से होता है। इसे विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए।
इसीलिए मानव मात्र को सांसारिक विलासिता, शारीरिक बल, सार्वजनिक व सामाजिक स्थिति और रूप-सौंदर्य आदि का आडम्बर व थोथा अहंकार छोड कर अपना मानव धर्म, राष्ट्र धर्म निभाना चाहिए। ताकि जिस मिट्टी में पैदा हुआ है, उसका थोड़ा सा ऋण चुका सकें और ईश्वर को बता सकें कि उसे मानव बनाना उसकी भूल नहीं थी। जीवन का वास्तविक मूल्य भी शायद यही है।
😊😊😊😊😊😊😊😊
॥ वन्दे मातरम् ॥

1 Like · 38 Views
You may also like:
🌀 ■ फ़ेसबुकी फ़जीता 🌀
🌀 ■ फ़ेसबुकी फ़जीता 🌀
*Author प्रणय प्रभात*
दिन आये हैं मास्क के...
दिन आये हैं मास्क के...
आकाश महेशपुरी
इन रास्तों को मंजूर था ये सफर मेरा
इन रास्तों को मंजूर था ये सफर मेरा
'अशांत' शेखर
दर्द पर लिखे अशआर
दर्द पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
# जिंदगी ......
# जिंदगी ......
Chinta netam " मन "
वादा है अपना
वादा है अपना
Shekhar Chandra Mitra
कल आज कल
कल आज कल
Satish Srijan
We host the flag of HINDI FESTIVAL but send our kids to an E
We host the flag of HINDI FESTIVAL but send our...
DrLakshman Jha Parimal
तुम जोर थे
तुम जोर थे
Ranjana Verma
क्षणिक स्वार्थ में हो रहे, रिश्ते तेरह तीन।
क्षणिक स्वार्थ में हो रहे, रिश्ते तेरह तीन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ਧੱਕੇ
ਧੱਕੇ
Surinder blackpen
💐प्रेम कौतुक-187💐
💐प्रेम कौतुक-187💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
खिल जाए अगर कोई फूल चमन मे
खिल जाए अगर कोई फूल चमन मे
shabina. Naaz
उन्हें नहीं मालूम
उन्हें नहीं मालूम
Brijpal Singh
सिलसिले साँसों के भी थकने लगे थे, बेजुबां लबों को, रूह की खामोशी में थरथराना था।
सिलसिले साँसों के भी थकने लगे थे, बेजुबां लबों को,...
Manisha Manjari
*माता (कुंडलिया)*
*माता (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जिन्दगी है बगावत तो खुलकर कीजिए।
जिन्दगी है बगावत तो खुलकर कीजिए।
Ashwini sharma
मंदिर दीप जले / (नवगीत)
मंदिर दीप जले / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मत करना।
मत करना।
Taj Mohammad
या अल्लाह या मेरे परवरदिगार
या अल्लाह या मेरे परवरदिगार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुनमुनी नींदे!!
कुनमुनी नींदे!!
Dr. Nisha Mathur
प्रथम शैलपुत्री
प्रथम शैलपुत्री
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अनूठी दुनिया
अनूठी दुनिया
AMRESH KUMAR VERMA
फेमस होने के खातिर ही ,
फेमस होने के खातिर ही ,
Rajesh vyas
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
Pravesh Shinde
कर्म प्रधान
कर्म प्रधान
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
उम्मीद
उम्मीद
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
मेरे दुश्मन है बहुत ही
मेरे दुश्मन है बहुत ही
gurudeenverma198
Loading...