■ चर्चित कविता का नया संस्करण

#न्यू_वर्ज़न
■ कलम आज उनकी जय बोल…!
【प्रणय प्रभात】
“कलम आज उनकी जय बोल।
कलम आज उनकी जय बोल।
जिनके बलबूते कर पाए,
बिना बॉल के गोल।।
कलम आज उनकी जय बोल।
कलम आज उनकी जय बोल।।
◆ जिनका अच्छा ख़ासा क़द हो।
और मलाई वाला पद हो।
तिकड़म की चाबी से ताला,
किस्मत का दें पल में खोल।
क़लम आज उनकी जय बोल।।
◆ स्वयंभू साकार ईश हों।
अपने मठ के मठाधीश हों।
हाथ बढा कर लपक अटैची।
उनके पीछे-पीछे डोल।
क़लम आज उनकी जय बोल।।
◆ जिनको नौटंकी आती हो।
चरण वन्दना ही भाती हो।
चाट मलाई बांटें खुरचन।
चना चबेना रोटी झोल।
क़लम आज उनकी जय बोल।।
【राष्ट्रकवि रामधारी सिंह “दिनकर’ जी जी एक चर्चित व्यंग्य कविता का यह नया संस्करण सतत विस्तार की संभावनाओं से भरपूर है। श्रद्धेय दिनकर जी की दिव्य आत्मा से अग्रिम क्षमा याचना के साथ】