Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2018 · 1 min read

ख़ामोशियाँ

बड़ी लंबी जुबान की
होती है
ये ख़ामोशियाँ

शब्दों की
बैसाखियों के बिना ही
बहुत दूर तक
चली जाती हैं

कच्ची पक्की
अंजान पगडंडियों पर
निकल पड़ती हैं
मंजिल की ओर

अक्सर
सुलझा जाती हैं
उलझी मन की
गाँठों को
या फ़िर और
उलझा जाती हैं
गिरह के
रेशमी धागों को

ढुलक जाती हैं
कभी आँखों के
कोरों से
तो कभी
सरक आती हैं
होठों के
दबे किनारों से

धीरे धीरे
खोल जाती हैं ये
दिल के सारे राज़

आती है इन्हें
लिखावट
हर भाषा की
बस बाँचना पड़ता है
अहसासों की
पैनी नज़र से,,

Language: Hindi
300 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कही दूर नहीं हो ,
कही दूर नहीं हो ,
Buddha Prakash
मिलना यह हमारा, सुंदर कृति है
मिलना यह हमारा, सुंदर कृति है
Suryakant Dwivedi
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
सत्य कुमार प्रेमी
प्यासा के राम
प्यासा के राम
Vijay kumar Pandey
गज़ल
गज़ल
करन ''केसरा''
हम में सिर्फ यही कमी है,
हम में सिर्फ यही कमी है,
अरशद रसूल बदायूंनी
!! आशा जनि करिहऽ !!
!! आशा जनि करिहऽ !!
Chunnu Lal Gupta
"" *मन तो मन है* ""
सुनीलानंद महंत
मेरी सुख़न-गोई बन गई है कलाम मेरा,
मेरी सुख़न-गोई बन गई है कलाम मेरा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जी हां मजदूर हूं
जी हां मजदूर हूं
Anamika Tiwari 'annpurna '
आ जाती हो याद तुम मुझको
आ जाती हो याद तुम मुझको
gurudeenverma198
उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
Madhuyanka Raj
" वाकया "
Dr. Kishan tandon kranti
खेल संग सगवारी पिचकारी
खेल संग सगवारी पिचकारी
Ranjeet kumar patre
4710.*पूर्णिका*
4710.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हारे साथ,
तुम्हारे साथ,
हिमांशु Kulshrestha
😘वंदे मातरम😘
😘वंदे मातरम😘
*प्रणय प्रभात*
तू ने आवाज दी मुझको आना पड़ा
तू ने आवाज दी मुझको आना पड़ा
कृष्णकांत गुर्जर
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*आँसू मिलते निशानी हैं*
*आँसू मिलते निशानी हैं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बरसात का मौसम तो लहराने का मौसम है,
बरसात का मौसम तो लहराने का मौसम है,
Neelofar Khan
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
Rj Anand Prajapati
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
शेखर सिंह
जिंदगी की सड़क पर हम सभी अकेले हैं।
जिंदगी की सड़क पर हम सभी अकेले हैं।
Neeraj Agarwal
छोड़ जाऊंगी
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
तुमसे इश्क करके हमने
तुमसे इश्क करके हमने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सोचते होंगे तुम
सोचते होंगे तुम
Dheerja Sharma
पर्यावरण
पर्यावरण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
प्रेम का असली सौंदर्य तो प्रतीक्षा में दिखता है, जहां धैर्य
प्रेम का असली सौंदर्य तो प्रतीक्षा में दिखता है, जहां धैर्य
पूर्वार्थ
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
Loading...