हौसला-2

मिलती जरूर मंजिल, कितनी लंबी हो डगर।
रत्नाकर तक पहुँची है, देखा दरिया का सफर।।
पर वह भी रखता है , पर हौसलो से उड़ता है।
देखा कभी बाज को, कैसे आसमां चीरता है।।
(लेखक-डॉ शिव ‘लहरी)
मिलती जरूर मंजिल, कितनी लंबी हो डगर।
रत्नाकर तक पहुँची है, देखा दरिया का सफर।।
पर वह भी रखता है , पर हौसलो से उड़ता है।
देखा कभी बाज को, कैसे आसमां चीरता है।।
(लेखक-डॉ शिव ‘लहरी)