है कर्मवीर वो
है कर्मवीर वो जो खुद भाग्य लिख दिया करें।
है धर्मवीर वो जो परहित मे जाँ दिया करें।।
बेकार है वो जीवन जो अपने में लगा रहे।
जीवन वही सुखी जो दुखि़यों के गम़ पिया करें।।
दौलत का मद बुरा है मद़होश कर न दे।
दौलत वही जो ज़रूरतमंद की मदद किया करे।।
इत़रा न सौहरत पे एक दिन खफ़ा हो जाएगी।
है सौहरत वही सच्ची जो मरके भी जिया करे।।
क्यों तुम लगे रहते हो यूँ भाग दौड़ में।
गुम़नाम जिंद़गी का ‘कल्प’ मज़ा लिया करे।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’