Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2017 · 1 min read

हिन्दी

मंदिर की घंटियों सी मीठी ध्वनि है
हर इंसान के ह्रदय में धीरे से उतरी है ।
ईश्वर से मिलने की सीढ़ी है यह
प्रेम व विश्वास की धारा है यह
वज्र सी कठोर नहीं माँ सी कोमल है
सिंह की गर्जन नहीं लोरी है यह ।
रूठों को मनाना है हिंदी अपनाएं
मतभेद भुलाना है हिंदी अपनाएं ।
इस भाषा में जो मिठास है वह कहीं नहीं
चाहे हम राष्ट्र में चले जाएँ कहीं ।
हर दिल को ज़रूर लुभाती है हिंदी
बोलिए ज़रूर प्यार बढाती है हिंदी ।

Language: Hindi
1 Comment · 397 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
युद्ध के मायने
युद्ध के मायने
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
बड़े होते बच्चे
बड़े होते बच्चे
Manu Vashistha
बात है तो क्या बात है,
बात है तो क्या बात है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
उठ जाओ भोर हुई...
उठ जाओ भोर हुई...
जगदीश लववंशी
चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी
चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
लक्ष्मी सिंह
ये मौन अगर.......! ! !
ये मौन अगर.......! ! !
Prakash Chandra
ज़ुदा हैं रास्ते अपने,
ज़ुदा हैं रास्ते अपने,
Rashmi Sanjay
💐अज्ञात के प्रति-71💐
💐अज्ञात के प्रति-71💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Choose yourself in every situation .
Choose yourself in every situation .
Sakshi Tripathi
जीवन के मोड़
जीवन के मोड़
Ravi Prakash
उसने कहा....!!
उसने कहा....!!
Kanchan Khanna
कभी भी ऐसे व्यक्ति को,
कभी भी ऐसे व्यक्ति को,
Shubham Pandey (S P)
चाहता है जो
चाहता है जो
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
आप मेरे सरताज़ नहीं हैं
आप मेरे सरताज़ नहीं हैं
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
चुनौती हर हमको स्वीकार
चुनौती हर हमको स्वीकार
surenderpal vaidya
सब कुछ हमारा हमी को पता है
सब कुछ हमारा हमी को पता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कारवां गुजर गया फ़िज़ाओं का,
कारवां गुजर गया फ़िज़ाओं का,
Satish Srijan
मां
मां
Dr Praveen Thakur
द माउंट मैन: दशरथ मांझी
द माउंट मैन: दशरथ मांझी
Jyoti Khari
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
Shyam Sundar Subramanian
रस्सी जैसी जिंदगी हैं,
रस्सी जैसी जिंदगी हैं,
Jay Dewangan
दो ही हमसफर मिले जिन्दगी में..
दो ही हमसफर मिले जिन्दगी में..
Vishal babu (vishu)
मेला
मेला
Dr.Priya Soni Khare
मस्ती का त्यौहार है,  खिली बसंत बहार
मस्ती का त्यौहार है, खिली बसंत बहार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"दोस्ती के लम्हे"
Ekta chitrangini
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
नव लेखिका
सच्चाई के रास्ते को अपनाओ,
सच्चाई के रास्ते को अपनाओ,
Buddha Prakash
नवगीत
नवगीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"मैं अपनी धुन में चला
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...