हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
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हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
तू क्या जाने जिंदगी कैसे कैसे संवर रहा हूं ।
दिल तोड़कर यूं मेरा मुकद्दर मिटा दिया है।
उस वेबफा की याद में हद से गुज़र रहा हूं।।
Phool gufran
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
तू क्या जाने जिंदगी कैसे कैसे संवर रहा हूं ।
दिल तोड़कर यूं मेरा मुकद्दर मिटा दिया है।
उस वेबफा की याद में हद से गुज़र रहा हूं।।
Phool gufran