हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/9360b5e2363c0bf09482b5ec4573f615_e69b0bcb7ac0830055bdbc52d47e6ac9_600.jpg)
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
मगर बेटी के हक में हिफाजत कौन देता है
बुझ जाता है दिया हवा के साए में आकर
फिर इस दिय को चिंगारी कौन देता है..
मेरे जहन में आकर के लाचारी कौन देता है
मुझे नित नित नचाने को मदारी कौन देता है
मेरी तरक्की से मदहोश है मेरे अपने फिर
खिलाफत की बस को सवारी कौन देता है
✍️🅺🅰🆅🅸☑️
▀▄▀▄Deepak saral▄▀▄▀