“हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी”
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हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
वादों की शाम थी, इरादों की शाम थी
हाथों में तेरा हाथ था, और साथ था तेरा
रब से जों मांगी थी मुरादों की शाम थी
नज़रों से मिली नज़रें और दिल से दिल मिले
नज़ारों की शाम थी बाहरों की शाम थी
जा रहे थे तुम जब छोड़कर मुझे अकेला
तारों की शाम थी सितारों की शाम थी
दो जिस्म एक जां बन गये थे हम दोनों
इनकारों की शाम थी इकरारों की शाम थी
©ठाकुर प्रतापसिंह”राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश)