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26 Sep 2022 · 1 min read

हम कलियुग के प्राणी हैं/Ham kaliyug ke prani Hain

सतयुग, त्रेता न द्वापर के,
हम कलयुग के प्राणी हैं।
हम- सा प्राणी हैं किस युग में ?
हम अधम देह धारी हैं।
हमारा युग तोप-तलवार
जन-विद्रोह का है।
सामंजस्य-शांति का नहीं
भेद-संघर्ष का है।
हमने सदियों ” बसुधैव कुटुंबकम ”
की भावना छोड़ दिया।
और कलि के द्वेष पाखंड से
नाता जोड़ लिया।
हम काम क्रोध में कुटिल हैं,
परधन परनारी निंदा में लीन हैं।
हम दुर्गुणों के समुन्द्र में
कु-बुद्धि के कामी हैं।
सतयुग त्रेता न द्वापर के
हम कलयुग के प्राणी हैं।
हमारा हस्त खुनी पंजे का है
वे हमसे भिन्न स्वतंत्र रह पाएंगे ?
जब सजेगा सूर बम धमाकों का
तब क्या मृत उन मृत के लघु गीत गाएंगे ?
हमें तुम्हारे नारद की वीणा अलापते नहीं लगती
हमे तुम्हारे मोहन की मुरली सुनाई नहीं देती।
तुम कहते हो हमे अबंधन जीने दो।
अन्न जल सर्व प्रकृत का, आनंद रस पीने दो।
नहीं हम ही इस कलिकाल में सुबुद्धि के प्राणी हैं।
सतयुग,त्रेता न द्वापर के ”हम कलयुग के प्राणी हैं।”

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