हम उनसे नहीं है भिन्न
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उनके बिना गुजर रहे है दिन,
वो हमसे आजकल है खिन्न,
उन्हें कौन यह बात समझाए,
हम उनसे नहीं है कभी भिन्न,
याद उन्हें करते है हर पल,
मन में नहीं है कोई छल,
उनके बिना हम है बेहाल,
जैसे मीन तड़पे बिन जल,
तरस रहें सुनने को बोल,
समझ नहीं रहे प्रेम का मोल,
सूख गया है आँखो का नीर,
अब तो यारा प्रेम रस घोल,