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27 Mar 2017 · 1 min read

स्वपन के आस पास

रोशनी को दीप जले
तिमिर को न आया रास
बैठा न जाने कहाँ
आनन छुपा के आज
सुन्दर कंदीलों सी
सजने लगी मन में आस
देदीप्य आशाओं का
जगमग हुआ आकाश
हृदय मंच में उमंग
करने लगा विकास
खत्म होने को है
अंधकार का पिचाश
मन का रथी चला
स्वपन के आस पास
अश्रु का ताल सुखा
तिरता नैनन में हास
✍हेमा तिवारी भट्ट✍

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 1 Comment · 224 Views

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