सैदखन यी मन उदास रहैय…
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सैदखन यी मन उदास रहैय…
नै कोनो हमरा आसपास रहैय..!
साथी खोजइत् रहय हमर् ई नयन..
केकरो नै होबक् एहसास रहैय…!!
किनका से कहु के बुझत…
परदेशी के मोनक् गीत…!!!
गीत मोनक् बुझेबाला मीत बहुत दूर….
भेटब् हम ज़रूर मन मे यी विश्वास रहैय…!!!!
– रामबाबु