सेवा-भाव उदार था, विद्यालय का मूल (कुंडलिया)
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सेवा-भाव उदार था, विद्यालय का मूल (कुंडलिया)
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सेवा – भाव उदार था ,विद्यालय का मूल
जनहित की थी कामना ,केवल एक उसूल
केवल एक उसूल ,धन्य विद्यालय खोला
धन्य – धन्य उत्साह , वायुमंडल में डोला
कहते रवि कविराय ,न चाही मिश्री – मेवा
धन्य-धन्य वह लोग, लक्ष्य जिनका था सेवा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451