साधा जिसने मौन को, पाता कभी न शोक (कुंडलिया)
साधा जिसने मौन को, पाता कभी न शोक (कुंडलिया)
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साधा जिसने मौन को, पाता कभी न शोक
सध जाता यह लोक भी, सध जाता परलोक
सध जाता परलोक, साधकर वाणी चलता
मुख से निकला शब्द, किसी को तनिक न खलता
कहते रवि कविराय, असंयत बोली बाधा
सबसे उत्तम व्यक्ति, मौन को जिसने साधा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451