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24 Dec 2022 · 1 min read

*सादगी उपहार था (हिंदी गजल/गीतिका)*

*सादगी उपहार था (हिंदी गजल/गीतिका)*
■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
कान में जो गलतियाँ बतला गया वह यार था
कानाफूसी कर रहा जो आदमी गद्‌दार था
(2)
कौन अपना है पराया, सब समझ में आ गया
मैं मगर इसके लिए बिल्कुल नहीं तैयार था
(3)
जीत ली जिससे हमारे पूर्वजों ने यह धरा
वह नहीं तलवार थी, वह असलियत में प्यार था
(4)
विश्व को जो कुछ दिया मैंने नहीं वह भेंट थी
दरअसल संसार का वह कर्ज एक उधार था
(5)
कुछ बड़े लोगों ने खुद को जश्न से आगे किया
कुछ बड़े लोगों का जग को सादगी उपहार था
—————————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

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