सरकारी नौकरी लगने की चाहत ने हमे ऐसा घेरा है
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/c4b483f1216c0a6431bf48530aad5464_255cb1b93cb63c55569fd11d08eeaca3_600.jpg)
सरकारी नौकरी लगने की चाहत ने हमे ऐसा घेरा है
कि मानो जैसे पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही हो
यू ही एक कमरे में बैठकर जीवन गुजार रहे है
ना जाने कब तक चलेगा ये सिलसिला
अब तो ऐसा लगता है कि जैसे हमारी
मौत हमसे बाते कर रही हो
कभी कभी लगता है की मान लूं
वो बाते जो हमसे मौत कर रही हैं
पर पीछे से ऐसी आवाजे आती है
जैसे घरवालों की उम्मीदें हमको घेर रही हो