सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्
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सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्वर के अस्तित्व को बल देते है। नर से नारायण की यात्रा केवल कर्मयोद्धा करते हैं और वही सच्चे सनातनी और गृहस्थ आश्रम से ही निकलते है।