“सफर”
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“सफर”
सफरनुमा जमाने में ,
वक्त कहांँ रुकता है।
चाहे उम्र हो या विचार ,
यहांँ तो सभी सफर करते हैं।
क्या कहना जमाने के इस दस्तूर को ,
यहांँ तो लोग सफर करते करते ,
दुनिया छोड़ चले जाते हैं।
…….✍️ योगेंद्र चतुर्वेदी
“सफर”
सफरनुमा जमाने में ,
वक्त कहांँ रुकता है।
चाहे उम्र हो या विचार ,
यहांँ तो सभी सफर करते हैं।
क्या कहना जमाने के इस दस्तूर को ,
यहांँ तो लोग सफर करते करते ,
दुनिया छोड़ चले जाते हैं।
…….✍️ योगेंद्र चतुर्वेदी