सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/3752840eb91bd808f2f2d3206bf25d72_c35c6f3a033c7f27aa0d05082ec89caf_600.jpg)
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
रोग-शोक से रक्षा करता, देता मानव को पहचान।
परोपकार का पाठ पढ़ाकर, भरता हिय में नव उन्मेष,
स्वावलंबन की दिशा दिखाता, और बनाता है विद्वान।।
© महेश चन्द्र त्रिपाठी