संस्कार
श्यामल वर्ण हैं दोनों भैया।
मुख पे तेज सजाय रहे,
राम लखन सी सुन्दर जोड़ी,
मन्द – मन्द मुसकाय रहे।
हाथन को लिए लकुटी कमलीया,
कंधन झोली बंधाय रहे।
ब्रह्मचर्य के रक्षण को ये,
भिक्षाटन को जाय रहे।
कुछ हाथन कुछ झोली भरे
हैं,
पग – पग पाव बढाय रहे।
धर्म की खातिर बन ये भिक्षुक
धर्म ध्वजा फहराय रहे।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”