श्रावण सोमवार
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श्रावण सोमवार
श्रावण सोमवार का मेला है, त्यौहार बड़ा अलबेला है
हर हर बम बम भोले गूंज रहा, जन- दर्शन को उमड़ रहा
बादल अभिषेक को आए हैं, घनघोर घटाएं लाए हैं
सावन जमकर बरस रहा, जलधार धरा को चढ़ा रहा
उमड़ रही सर सरिताएं, खेत बाग तरूवर लताएं
फूट पड़े झरने गिरवर से, कल कल गीत खुशी के गाएं
धरती अंबर का प्रेम मिलन है, प्रकृति का हर जीव मगन है
त्रय ताप का हुआ समन है, नाच रहा है मन मयूर
बिजली और मेघ नर्तन है
सजे हुए हर ओर शिवाले, तीर्थ सरोवर मंदिर सारे
जन समुद्र की लहरें जैसे, शिव सागर के आईं किनारे
पुष्प पत्र फलफूल लिए, धानी चूनर धरा है धारे
नयनाभिराम हर दृश्य धरा पर, मन मोह रहा नैना रतनारे
श्रावण सोमवार अनुपम है, ऊं नमः शिवाय मंत्र उचारे
हर हर गंगे हर महादेव ओमकार गगन में गूंजा रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी