शून्य से अनन्त
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मैं आर्यभट्ट की खोज हू , अंत मेरा काम है
मैं गणित से आई हूं, शून्य मेरा नाम है
मुझमे ही तो शिव समाया , शिव में पूरा ब्रमांड है
मैं गणित से आई हूं, शून्य मेरा नाम है
“शून्य” में न मिल तू जो शून्य तेरा अंत हो
“शून्य” पर चल तू ताकि हौसले बुलंद हो
यदि “शून्य” पर सवार होके
गर “शून्य” फिर से तू बना
तेरा रूप अनिर्धाय होगा
निर्धारित तुझे न कोई कर सकेगा
यदि “शून्य” पे सवार होके
गर “शून्य” से आगे रहा
तो फिर न तेरा अंत होगा
फिर तो तू “अनन्त” होगा
जग में तेरा नाम होगा
चारो ओऱ प्रकाश होगा
पर एक बात तू याद रखना
“शून्य” से न फिर उलझना
“शून्य” ही तो अंत है
“शून्य” ही शरुआत है
मैं गणित से आई हूं, शून्य मेरा नाम है
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