Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2022 · 1 min read

विश्व मानसिक दिवस

वर्ल्ड मेंटल हेल्थ का, शुरू हुआ अभियान।
खुशियाँ जो भी बाँटता, खुश है आठों याम।
घर घर मानस रोग है, दुःख का है सैलाब।
मानस रोगी अब कहे,कब होगा कल्याण।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,प्रेम
डिप्लोमा इन पब्लिक मेंटल हेल्थ फार डाक्टर्स

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
1 Like · 1 Comment · 77 Views

Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

You may also like:
'राम-राज'
'राम-राज'
पंकज कुमार कर्ण
दिल की बात,
दिल की बात,
Pooja srijan
12
12
Dr Archana Gupta
भीगे भीगे मौसम में
भीगे भीगे मौसम में
कवि दीपक बवेजा
Wishing you a very happy,
Wishing you a very happy,
DrChandan Medatwal
त्याग
त्याग
मनोज कर्ण
फकीरे
फकीरे
Shiva Awasthi
धीरे-धीरे समय सफर कर गया
धीरे-धीरे समय सफर कर गया
Pratibha Kumari
उसकी ग़मी में यूँ निहाँ सबका मलाल था,
उसकी ग़मी में यूँ निहाँ सबका मलाल था,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भारत की स्वतंत्रता का इतिहास
भारत की स्वतंत्रता का इतिहास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ये रात अलग है जैसे वो रात अलग थी
ये रात अलग है जैसे वो रात अलग थी
N.ksahu0007@writer
*टुकड़े-टुकड़े गैंग 【मुक्तक】*
*टुकड़े-टुकड़े गैंग 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
भूलाया नहीं जा सकता कभी
भूलाया नहीं जा सकता कभी
gurudeenverma198
मेरी ख़्वाहिश वफ़ा सुन ले,
मेरी ख़्वाहिश वफ़ा सुन ले,
अनिल अहिरवार"अबीर"
😊ख़ुद के हवाले से....
😊ख़ुद के हवाले से....
*Author प्रणय प्रभात*
गुमराह होने के लिए, हम निकल दिए ,
गुमराह होने के लिए, हम निकल दिए ,
Smriti Singh
माँ (ममता की अनुवाद रही)
माँ (ममता की अनुवाद रही)
Vijay kumar Pandey
आदत में ही खामी है,
आदत में ही खामी है,
Dr. Kishan tandon kranti
समक्ष
समक्ष
Dr Rajiv
चर्चित हुए हम
चर्चित हुए हम
Dr. Sunita Singh
दर्शय चला
दर्शय चला
Yash Tanha Shayar Hu
Poem on
Poem on "Maa" by Vedaanshii
Vedaanshii Vijayvargi
बाट जोहती इक दासी
बाट जोहती इक दासी
Rashmi Sanjay
ऐ मां वो गुज़रा जमाना याद आता है।
ऐ मां वो गुज़रा जमाना याद आता है।
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
आंखों पर शायरी
आंखों पर शायरी
Dr fauzia Naseem shad
अपना घर
अपना घर
Shyam Sundar Subramanian
मुद्दों की बात
मुद्दों की बात
Shekhar Chandra Mitra
कैसे भुल जाऊ उस राह को जिस राह ने मुझे चलना सिखाया
कैसे भुल जाऊ उस राह को जिस राह ने मुझे...
Shakil Alam
2234.
2234.
Khedu Bharti "Satyesh"
💐अज्ञात के प्रति-104💐
💐अज्ञात के प्रति-104💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...