शायरी – संदीप ठाकुर
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वक्त की बात हर घड़ी मत कर
ख़ुद घड़ी देख गड़बड़ी मत कर
चांद बाहों में सो रहा है मेरी
रात ढलने में हड़बड़ी मत कर
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
वक्त की बात हर घड़ी मत कर
ख़ुद घड़ी देख गड़बड़ी मत कर
चांद बाहों में सो रहा है मेरी
रात ढलने में हड़बड़ी मत कर
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur