Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2024 · 1 min read

शबनम छोड़ जाए हर रात मुझे मदहोश करने के बाद,

शबनम छोड़ जाए हर रात मुझे मदहोश करने के बाद,
तुम पर ऐसे ख़ुदा का मैं हर रोज़ शुक्रिया अदा करता हूं

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

146 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पुरानी वैमनस्यता को भूलकर,
पुरानी वैमनस्यता को भूलकर,
Ajit Kumar "Karn"
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
2997.*पूर्णिका*
2997.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
Ravikesh Jha
प्रेम करें.... यदि
प्रेम करें.... यदि
महेश चन्द्र त्रिपाठी
उम्मीद का दिया
उम्मीद का दिया
राकेश पाठक कठारा
योग
योग
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
*श्री विजय कुमार अग्रवाल*
*श्री विजय कुमार अग्रवाल*
Ravi Prakash
इन्सानी रिश्ते
इन्सानी रिश्ते
Seema Verma
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
करन ''केसरा''
कच्ची दीवारें
कच्ची दीवारें
Namita Gupta
*मां*
*मां*
Dr. Priya Gupta
तुम्हारा ज़वाब सुनने में कितना भी वक्त लगे,
तुम्हारा ज़वाब सुनने में कितना भी वक्त लगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्य़ूँ अपना सर खपाऊँ मैं?
क्य़ूँ अपना सर खपाऊँ मैं?
Kirtika Namdev
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
Mukesh Kumar Sonkar
साहस
साहस
Dr. Kishan tandon kranti
हकीकत
हकीकत
Iamalpu9492
राख देह की पांव पसारे
राख देह की पांव पसारे
Suryakant Dwivedi
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
शेखर सिंह
बाहर के शोर में
बाहर के शोर में
Chitra Bisht
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो हमें भूल ही नहीं सकता
वो हमें भूल ही नहीं सकता
Dr fauzia Naseem shad
रात नशीली कासनी, बहका-बहका चाँद।
रात नशीली कासनी, बहका-बहका चाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मन
मन
Harminder Kaur
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
मज़ा आता है न तुमको बार-बार मुझे सताने में,
मज़ा आता है न तुमको बार-बार मुझे सताने में,
Jyoti Roshni
ऐसा नही है कि ! तुमसे प्यार करते हुए किसी और से हल्का फुल्का
ऐसा नही है कि ! तुमसे प्यार करते हुए किसी और से हल्का फुल्का
पूर्वार्थ
नज़रिये की बाते
नज़रिये की बाते
उमेश बैरवा
Loading...