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22 Sep 2022 · 1 min read

वेदनापूर्ण लय है

वेदनापूर्ण लय है
अपरिचित – सी
भ्रमण नहीं, ये क्रम है

अट्टाहस की गूंज
गिर रही श्रुतिपटल
निस्पन्दन में….
ये आनन्द मन नहीं
श्री – श्री अन्त है

यथार्थ की आलिशान
ये चकाचौंध अनर्थ है
ज्योतिर्मय हृदय है
या स्फूर्तिहीन कलंक

भव की आडम्बर
यायावर या बारह
चले महोच्चार ये तलक
रन्ध्र हो या नभोदय

चलते गुमराही पन्थ में
संघर्षरत, स्वेद, उडूक है
कोई शशिकांत की दमक है
कोई तरणि की दोजख़

भला कौन जान ये
चले शून्य, कौन क्षितिज ज़रा
जंजर है खंडहर‌ के
ये टूटा दीवार कैसा !

Language: Hindi
Tag: कविता
5 Likes · 69 Views
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