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4 Feb 2017 · 1 min read

वानर

ये लगातार घूमती पृथ्वी।
लगातार मरते दिन और
लगातार क़त्ल होती रातें।

जो, अभी हूँ मैं, तो खलता मेरा होना,
मेरे बाद मेरा होना, तो क्या मेरा होना।

तिनके से पहाड़ बनकर फिर
टूट जाना, सभी चेहरे बस
पहचानते , जानता सिर्फ मेरा मैं।

बज रहा डमरू डम डग डम,
जब थक जाएगा वानर,
सो जायेगा पोटली पर।

Language: Hindi
Tag: कविता
247 Views
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