वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
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वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
रूप तुम्हारा अति मन भावना।
स्वर्ण मुकुट शोभे सिर माथे,
सब देवन में तुम नायक।
नीलम शर्मा ✍️
वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
रूप तुम्हारा अति मन भावना।
स्वर्ण मुकुट शोभे सिर माथे,
सब देवन में तुम नायक।
नीलम शर्मा ✍️