वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
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वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
वक्त के सब गुलाम जरा तुम सुनो।।
मेरे दामन में कलीया सही ना सही।
तेरा दामन कांटों से इतर भी नहीं।।
” निकुम्भ “
वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
वक्त के सब गुलाम जरा तुम सुनो।।
मेरे दामन में कलीया सही ना सही।
तेरा दामन कांटों से इतर भी नहीं।।
” निकुम्भ “