रोकोगे जो तुम…
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रोकोगे जो तुम प्यार से, कुछ पल को ठहर जाऊँगी।
वरना आम मुसाफिर की तरह, मैं भी गुजर जाऊँगी।
मैं एक क्षणिक झोंका हवा का, कोई बिसात न मेरी,
ढूँढोगे अगर मुझे कभी फिर, मैं कहीं नजर न आऊँगी।
आज जो करनी बात कर लो, क्या खबर किसी को कल की,
क्या पता कल तक बिखर कर, किस गली सिमट मैं जाऊँगी।
बड़ी ही लंबी दूरियाँ हैं , मेरे – तुम्हारे बीच में,
लाख जतन करके भी इनको, पार न मैं कर पाऊँगी।
दे रही है कब से दस्तक, मौत खड़ी मेरे द्वार पर,
साथ उसके जल्दी अब, एक नए सफर पर जाऊँगी।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद