रूगी छंद
आज का छंद?
रूगी छंद
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शिल्प – २१२ २
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जै गणेशा।
हरो क्लेशा।।
ध्यान बाटो।
विघ्न काटो।।
साथ दीजो।
ध्यान कीजो।।
काम मेरो।
ध्यान तेरो।।
है प्रयासा।
हर हताशा।।
हो सबेरा।
भाग्य मेरा।।
साथ तेरा।
है सबेरा।।
हाथ जोड़ी ।
नेह थोड़ी।।
एक जमाना।
है पुराना।।
पौध रोपा।
माथ छोपा।।
प्रेम पाती।
दीप बाती।।
रंग चोखा।
रूप धोखा।।
है बराती।
पूत्र नाती।।
हाथ थोड़ा।
बाँध घोड़ा।।
कंश मामा।
दुष्ट नामा।।
है हताशा।
क्यो निराशा।।
……..।।।………
✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार…८४५४५५