रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
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रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों को अब आजमाने लगी है
रिश्तों में करके, पैदा मतभेद
दीमक बन रिश्तों को खाने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों को अब आजमाने लगी है
रिश्तों में करके, पैदा मतभेद
दीमक बन रिश्तों को खाने लगी है