मनमाने तरीके से रिचार्ज के दाम बढ़ा देते हैं
हसलों कि उड़ान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
मुक्ति मिली सारंग से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तेरी उल्फत के वो नज़ारे हमने भी बहुत देखें हैं,
मां मेरे सिर पर झीना सा दुपट्टा दे दो ,
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।