रहो नहीं ऐसे दूर तुम

रहो नहीं ऐसे दूर तुम,हमसे नाराज तुम होकर।
करीब आकर लग जावो,गले हमसे खुश होकर।।
रहो नहीं ऐसे दूर तुम——————-।।
देखो तुम पलकें उठाकर, फूल जो खिलने लगे हैं।
खुशबू अपनी मोहब्बत की, हमपे उड़ाने लगे हैं।।
तुम भी जरा महका दो,हसीन गुल की तरहां होकर।
रहो नहीं ऐसे दूर तुम——————-।।
और नहीं हमको प्यारी, कोई सूरत धरती पर।
नाम हरवक्त तुम्हारा ही,रहता है मेरे लबों पर।।
चुम लो मेरे लब ये तुम,मेरी जां तुम अब होकर।
रहो नहीं ऐसे दूर तुम——————।।
खता क्या हमसे हुई है, हमपे क्या शक है तुमको।
करो यकीन तुम हम पर, करेंगे नाखुश नहीं तुमको।।
मेरा ख्वाब और खुशी तुम हो,करो प्यार बेशक होकर।
रहो नहीं ऐसे दूर तुम——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)