रज के हमको रुलाया
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रज के हमको रुलाया सुनो अपने
खाब टूटे सही लेकिन अच्छा हुआ।
दूर तक ढूँढती हैं निगाहें तुम्हें
धुँध बढ़ने लगी लेकिन अच्छा हुआ।
हमसे आखिर जुदा आप हो ही गये,
न बुलाए भी आए ये अच्छा हुआ।
आजकल हैं बहुत मेरे मशरूफ सनम
हमसे बेहतर मिला कोई,अच्छा हुआ
नीलम शर्मा ✍️