ये सर्द रात
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ये सर्द रात में आवारगी और नींद का बोझ ।
उस पर तेरी बेवफ़ाई का रोना रोज़ रोज़ ।
कितने आसां रहे होंगे तेरे लिए ये मरहले
तुम तलक़ पहुंचे हम तो हो गये मस्अले
इज्तिराबे शौक की तुम रहने ही दो बात ,
हर ख़ुशी को दर्द ए दिल देता जाये मात।
तन्हाई में चलते रहे, साथ दर्द के काफिले
अंज़ाम ए मोहब्बत देख,रह गये हैं फासले
तुम कहते हो तो, मैं मान भी लेती हूं इसे
तुम्ही वो शख्स है , कभी मैंने चाहा था जिसे।
सुरिंदर कौर