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23 Jan 2017 · 1 min read

यह प्रकृति का चित्र अति उत्तम बना है

यह प्रकृति का चित्र अति उत्तम बना है
“मत कहो आकाश में कुहरा घना है” 

प्रतिदिवस ही सूर्य उगता और ढलता 
चार पल ही ज़िन्दगी की कल्पना है 

लक्ष्य पाया मैंने संघर्षों में जीकर 
मुश्किलों से लड़ते रहना कब मना है 

क्या हृदय से हीन हो, ऐ दुष्ट निष्ठुर 
रक्त से हथियार भी देखो सना है 

तुम रचो जग में नया इतिहास अपना 
हर पिता की पुत्र को शुभ कामना है

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Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali

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