यह आज है वह कल था

यह आज है और वह कल था,
लेकिन मैं वही हूँ जो कल था,
वही विचार और वही आवाज,
आज भी है मेरा वही शौक,
रहने का वैसा ही ठिकाना,
बैठने की वैसी ही जगह,
पहनने का वैसा ही लिबास।
यह आज है और वह कल था,
हो गया हूँ मैं पहले की अपेक्षा,
अब थोड़ा ज्यादा होशियार,
अपने बाग की सुरक्षा के लिए,
अपनी हस्ती और इज्जत के लिए,
अपने सम्मान और स्वाभिमान के लिए।
यह आज है और वह कल था,
हो गया हूँ सावधान अब मैं,
झुकाने के लिए उनका सिर,
जो हैं मेरे प्रतिद्वंद्वी और विपरीत,
उनको अपनी आत्मा में देखने के लिए,
हो गया हूँ उनको मजबूर करने के लिए,
जो हंस रहे हैं मुझ पर कुठिलता से।
यह आज है और वह कल था,
जो उठा रहे हैं सवाल चोरी के,
मेरी कामयाबी और प्रसिद्धि पर,
और कर रहे हैं गुमराह लोगों को,
मेरे बारे में निराधार झूठी बातों से,
कल तक मेरी मजबूरियां थी कुछ,
लेकिन अब मैं नहीं हूँ दूसरों कंधों पर,
बना रहा हूँ अपनी पहचान अपनी योग्यता से।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)