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6 Dec 2022 · 3 min read

यथार्थ से दूर “सेवटा की गाथा” आदर्श स्तम्भ

आदर्श ग्राम्य सेवटा के आदर्श स्तंभ कहें जाने वाले आदरणीय श्री राम रत्न पाण्डेय जी जिनकी आयु एक सौ तीन वर्ष पूर्ण कर, हम सभी ग्राम्य वासियों का आदर्श बने हुए हैं।

माधुर्य स्वभाव, प्रिय भाषी, क्षेत्र में विख्यात आदर्श वादी महा पुरुष, आचरण सभ्यता सर्वों गुण सम्पन्न युग पुरुष, सरल स्वभाव वाले सभी जन मानस के प्रिय आदरणीय श्री राम रत्न पाण्डेय चाचा जी आपके आदर्श ईमान के चर्चा सुना हुआ है, यथार्थ है आप ग्राम्य के किसी भी घर के रिश्तेदार हो उसे अपने घर के अथिति सा व्यवहार सत्कार करते आए हुए है, यह गुण सर्वोंं परि गुण है, आपके सानिध्य में रह चुके कितने महारथी अपने अनुभवों आपके आशीष से अपने मंजिल शिखर तक पहुंच गए है।

दलाल को दलाल ना कहना एक कवि के लिए अन्याय कहा जाएगा, घटना उस समय का है जब हमारे दादा जी चार हजार का ड्राप डाकघर में जमा कराए हुए थे, तब के चार हजार रुपए आज के समय में लगभग एक लाख रुपए के सामान रहा होगा, उस समय हमारे ग्राम्य के डाकघर बाबू थे आदरणीय शिबोध राम थे, जो उस समय कहे भैय्या इसे नकद करने के लिए जिला डाकघर बाबू को डेढ़ सौ रुपए देना पड़ेगा उसके बाद आपका ड्रॉप नकद में मिलेगा वह भी पंद्रह दिन बाद, तब मेरे दादा जी स्वर्गीय श्री चंद्रदेव पाण्डेय (तुलसी बाबा) ने अपने छोटे पुत्र को ड्रॉप दे, आदरणीय श्री राम रत्न पाण्डेय जी के यहां भेजा, बोले जाकर कहना कि फला पाण्डे का लड़का हूं, इस कार्य हेतु भेजे है, वहा जाकर उन्हें वह ड्रॉप दिया और सब कहानी बताया, तब वह बोले ठीक है, बोल देना अपने बाबू जी से कि भैय्या पैसा लेकर स्वयं पहुंचा जाएंगे, एक सप्ताह के अंदर माननीय श्री राम रत्न पाण्डेय जी पूरा पैसा लाकर पहुंचा गए, इनके ईमानदारी कार्य कुशलता व्यवहार से सब भली भांति परिचित हैं।

आज यह यथार्थ है कि आदरणीय श्री राम रत्न पाण्डेय जी का स्थान अन्य सदस्य नहीं ग्रहण कर पाएगा, क्योंकि ग्राम्य में वह गठबंधन, सप्रेम, भावना नहीं रह गया है, चारों तरह एक दूसरे को घेरने में जुटे हुए हैं, एक दूसरे को गिराने में, द्वेषता अपने चर्म सीमा पर खड़ा है, एक दूसरे के मुंह पर उनका वाह वाह करते है, पीठ पीछे बुराई करने से नहीं चूकते है, ऐसा निष्ठुर निर्दयी हो गए है ग्राम्य के कुछ व्यक्ति विशेष जिनका नाम लेना भी हमें पाप सा लगता है, यह राहु, शनि, केतु, मंगल, पाप ग्रहों सामान है, ऐसे अशुद्ध वातावरण वर्णन में वह मनीषियों सा दिव्य ज्योति पुनः प्रज्ज्वलित हो पाए, जब समाज में ज्ञानी श्रेष्ठ राजनीति रोटी सेंकने लगे और निष्ठुरता सा, निष्ठुर हृदय वाले हो जाए वहा प्रकृति आलिंगन कहा होने वाला है, जो आदरणीय श्री राम रत्न पाण्डेय जी की सर्व श्रेष्ठ धरोहर है, सत्य वचन कड़वा होता है, लेकिन यह यथार्थ को स्वीकार न करना, व्यक्तिव व्यवहार में पतित होना है, पीठ पीछे बुराई सुनना, पीछे से आघात करने हेतु समय में तैयार रहना, मन में राम बगल में छुरी, जैसा रहना कब मौका मिले की व्यक्ति के गर्दन काट लूं, वैसे थोड़े से लाभ हेतु इतना स्वर्थ में गिर सा जा रहा है कि उसके गर्दन पर सवार से रहते है, एक दूसरे का चेहरा देख ग्राम्य में विकास कार्य संपन्न होता है, इस यथार्थ से दूर जाना या इसे ना स्वीकार करना अपने आने वाले जीवन में एक अग्नि दाह कुण्ड का निर्वाण कर रहे है, जिसमे अन्त समय में राख बन हवा में उड़ जाना, अपना सम्पूर्ण अस्तित्व समाप्त कर लेना है।

आदर्श स्तंभ सा चक्र ग्राम्य के, जीवन है आप
आदर्श गुरु सा धर्म धर धरोहर, जीवन है आप
अतुल्य परामर्श केंद्र बिंदु धरा के, जीवन है आप
सेवटा के परमार्थ केंद्र, सिंधु उर्मि के, जीवन है आप

Language: Hindi
Tag: लेख
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