Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

यक्ष प्रश्न

साहित
✍️_यक्ष प्रश्न?कब आओगे?
हमेशा की तरह
इंतजार करती निगाहें
और मां का यक्ष प्रश्न
कब आ रहे हो …
मेरा भी हमेशा की तरह
एक ही जवाब,दिलासा
आ रहा हूं जल्दी, जल्दी ही आऊंगा…
पुराने घर का आंगन
आपके हाथ का खाना
आप और पिताजी के साथ समय बिताऊंगा…
तिथि, दिन, वार, महीने में
और धीरे धीरे महीने
सालों में तब्दील हो गए …
घर की दीवारें ही नहीं
बगीचे में रोपे बीज
पौधे भी, फलदार वृक्ष हो गए…
एक एक कर बिछुड़ते
दादी बाबा, बड़े बुजुर्ग
घर की शोभा बढ़ाते सामान हो गए…
गांव से शहर
फिर दूसरा राज्य और
अब सरहदों के पार,दूसरा देश …
समय ही नहीं
दूरी भी सीमाएं लांघ रही है
कमाने की चाहत है
या है, जरूरतें पूरी करने की जरूरत …
और मैं! जरूरतें,
चाहत, जिम्मेदारियों
के बीच खुद को ही, नहीं खोज पा रहा हूं…
__ मनु वाशिष्ठ

1 Like · 95 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manu Vashistha
View all
You may also like:
व्यथा
व्यथा
Saraswati Bajpai
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
शिक्षा
शिक्षा
Neeraj Agarwal
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
Dr. Kishan Karigar
2337.पूर्णिका
2337.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
'एक सयानी बिटिया'
'एक सयानी बिटिया'
Godambari Negi
कोई रहती है व्यथा, कोई सबको कष्ट(कुंडलिया)
कोई रहती है व्यथा, कोई सबको कष्ट(कुंडलिया)
Ravi Prakash
फितरत के रंग
फितरत के रंग
प्रदीप कुमार गुप्ता
*
*"परिवर्तन नए पड़ाव की ओर"*
Shashi kala vyas
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
मेरे दिल के आसमां पर
मेरे दिल के आसमां पर
Dr fauzia Naseem shad
मन
मन
Sûrëkhâ Rãthí
बरसात
बरसात
Ashwani Kumar Jaiswal
यह  सिक्वेल बनाने का ,
यह सिक्वेल बनाने का ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मां
मां
Manu Vashistha
इक मुद्दत से चल रहे है।
इक मुद्दत से चल रहे है।
Taj Mohammad
समय को भी तलाश है ।
समय को भी तलाश है ।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
विचार
विचार
Jyoti Khari
कलियुगी रिश्ते!
कलियुगी रिश्ते!
Saransh Singh 'Priyam'
पिता का प्यार
पिता का प्यार
pradeep nagarwal
भाथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / MUSAFIR BAITHA
भाथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
खेलता ख़ुद आग से है
खेलता ख़ुद आग से है
Shivkumar Bilagrami
मैं तुम्हारे ख्वाबों खयालों में, मद मस्त शाम ओ सहर में हूॅं।
मैं तुम्हारे ख्वाबों खयालों में, मद मस्त शाम ओ सहर में हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
✍️बात मुख़्तसर बदल जायेगी✍️
✍️बात मुख़्तसर बदल जायेगी✍️
'अशांत' शेखर
"जाने कितना कुछ सहा, यूं ही नहीं निखरा था मैं।
*Author प्रणय प्रभात*
जिसकी बहन प्रियंका है, उसका बजता डंका है।
जिसकी बहन प्रियंका है, उसका बजता डंका है।
Sanjay ' शून्य'
जिंदगी क्या है?
जिंदगी क्या है?
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*आधुनिक सॉनेट का अनुपम संग्रह है ‘एक समंदर गहरा भीतर’*
*आधुनिक सॉनेट का अनुपम संग्रह है ‘एक समंदर गहरा भीतर’*
बिमल तिवारी आत्मबोध
गोपी-विरह
गोपी-विरह
Shekhar Chandra Mitra
💐अज्ञात के प्रति-42💐
💐अज्ञात के प्रति-42💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...